IPL 2025: 'चंपक' नाम के रोबोट डॉग पर मचा बवाल, BCCI पर ठोका गया 2 करोड़ का मुकदमा!

BCCI पर ठोका गया 2 करोड़ का मुकदमा!

इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) हमेशा से ही क्रिकेट और मनोरंजन का एक धमाकेदार संगम रहा है। लेकिन IPL 2025 में एक ऐसा मोड़ आया जिसने सबको चौंका दिया है। इस बार मैदान पर खिलाड़ियों के साथ एक नया मेहमान भी नज़र आया – एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से लैस रोबोट डॉग, जिसका नाम रखा गया 'चंपक'।



जी हाँ, वही 'चंपक' जो कभी बच्चों की सबसे पसंदीदा कॉमिक बुक हुआ करती थी! लेकिन इस मासूम से नामकरण ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) को एक बड़ी कानूनी मुश्किल में डाल दिया है। बच्चों की मशहूर कॉमिक बुक 'चंपक' के प्रकाशकों ने BCCI पर ट्रेडमार्क उल्लंघन का आरोप लगाते हुए 2 करोड़ रुपये के हर्जाने का दावा ठोक दिया है। दिल्ली हाई कोर्ट ने भी इस मामले में संज्ञान लेते हुए BCCI से 9 जुलाई तक जवाब मांगा है। तो आखिर क्या है यह पूरा मामला? आइए जानते हैं विस्तार से।

'चंपक': बचपन की यादें और IPL का नया सदस्य

20 अप्रैल 2025 को IPL के एक मैच के दौरान BCCI और IPL ने एक AI-जेनरेटेड रोबोट डॉग को पेश किया। इस रोबोट का नामकरण 'चंपक' किया गया था, जिसके बारे में IPL के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल से यह जानकारी दी गई कि यह नाम प्रशंसकों के वोटों के आधार पर चुना गया है।

ट्वीट में लिखा गया था, "We asked and you answered ✍️ Based on fan votes, we present 'Champak' – the newest member of our family 🗳🥳 #TATAIPL"

यह रोबोट डॉग मैदान पर खिलाड़ियों और दर्शकों के बीच एक आकर्षण का केंद्र बना, जिसकी तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुईं।

ट्रेडमार्क का उल्लंघन या महज़ एक संयोग?

लेकिन इस नामकरण से बच्चों की कॉमिक बुक 'चंपक' के प्रकाशक दिल्ली प्रेस पत्र प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड बिल्कुल खुश नहीं थे। उनका कहना है कि वे 1968 से 'चंपक' पत्रिका का प्रकाशन कर रहे हैं और 'चंपक' एक सुस्थापित और पंजीकृत ट्रेडमार्क है। प्रकाशकों की ओर से अधिवक्ता अमित गुप्ता ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर करते हुए कहा कि IPL के रोबोट डॉग का नाम 'चंपक' रखना उनके ट्रेडमार्क का सीधा उल्लंघन है और यह उनके ब्रांड का व्यावसायिक दोहन भी है।उन्होंने तर्क दिया कि IPL मैचों के दौरान मनोरंजन के लिए 'चंपक' (रोबोटिक डॉग) का प्रसारण देश भर में 20 करोड़ से अधिक दर्शकों तक पहुँचता है, जिससे वादी (प्रकाशक) को अपूरणीय क्षति हुई है। उनके सुस्थापित ब्रांड की साख को नुकसान पहुँचा है और BCCI ने अनुचित रूप से इसका लाभ उठाया है।

BCCI का बचाव: क्या 'चंपक' सिर्फ एक फूल का नाम है?

वहीं, BCCI की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता जे साई दीपक ने इस याचिका का पुरजोर विरोध किया। उनका कहना है कि 'चंपक' एक फूल का नाम है और लोग रोबोट 'चंपक' को पत्रिका से नहीं, बल्कि किसी टीवी सीरीज के एक पात्र से जोड़ रहे हैं।दिलचस्प बात यह है कि याचिका में प्रकाशकों ने भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान विराट कोहली का भी ज़िक्र किया है। याचिका में कहा गया है कि कोहली का घरेलू नाम 'चीकू' है और एक साक्षात्कार में उन्होंने खुद बताया था कि उनका यह नाम 'चंपक' पत्रिका के एक चरित्र के आधार पर रखा गया था।

इस पर न्यायमूर्ति सौरभ बनर्जी ने वादी के वकील से पूछा कि उन्होंने कोहली के खिलाफ उनके उपनाम के कारण कोई कार्रवाई क्यों नहीं की, जबकि उनका उपनाम भी 'चंपक' पत्रिका के एक पात्र के नाम जैसा ही है। इस पर वादी के वकील ने स्पष्ट किया कि लोग आमतौर पर कॉमिक बुक या टीवी सीरीज के पात्रों के आधार पर अपने प्रियजनों को उपनाम देते हैं, लेकिन उनका मुख्य मुद्दा 'चंपक' शब्द के व्यावसायिक उपयोग को लेकर है, जो उनका पंजीकृत ट्रेडमार्क है।

जनमत सर्वेक्षण या ब्रांड की लोकप्रियता का फायदा?

वादी के वकील ने यह भी तर्क दिया कि रोबोट कुत्ते का नामकरण सोशल मीडिया पर एक कथित जनमत सर्वेक्षण के बाद किया गया था, जिसमें 'चंपक' नाम को भारी समर्थन मिला था। उनका मानना है कि यह समर्थन वादी के ब्रांड की मौजूदा साख और लोकप्रियता के कारण ही था। प्रकाशक ने अदालत से BCCI और IPL को उनके ट्रेडमार्क का उल्लंघन करने से रोकने की गुहार लगाई है और उनके ट्रेडमार्क को हुए नुकसान के लिए 2 करोड़ रुपये के हर्जाने की मांग की है।

आगे क्या होगा?

दिल्ली हाई कोर्ट ने इस पूरे मामले पर BCCI और IPL से चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 9 जुलाई 2025 को होगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि अदालत इस मामले में क्या फैसला सुनाती है। क्या 'चंपक' नाम का इस्तेमाल ट्रेडमार्क का उल्लंघन माना जाएगा या BCCI अपने बचाव में सफल हो पाएगा? यह घटना IPL जैसे बड़े आयोजन में ब्रांडिंग और नामकरण की संवेदनशीलता को दर्शाती है। किसी भी लोकप्रिय नाम या ब्रांड का उपयोग करने से पहले उसकी कानूनी स्थिति और संभावित आपत्तियों पर ध्यान देना कितना ज़रूरी है, यह इस मामले से सीखा जा सकता है। तो दोस्तों, इस पूरे मामले पर आपकी क्या राय है? क्या BCCI ने 'चंपक' नाम का इस्तेमाल करके गलती की, या यह महज़ एक निर्दोष नामकरण था? अपनी राय हमें कमेंट सेक्शन में ज़रूर बताएं! और ऐसे ही दिलचस्प और ताज़ा खबरों के लिए हमें फॉलो करना न भूलें!

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