Retro मूवी रिव्यू: Surya की दमदार एक्टिंग, लेकिन बेसलेस कहानी | Retro Movie Review in Hindi


Retro Movie रिव्यू -

नमस्कार दोस्तों! फाइनली बहुत दिनों बाद सूर की एक जबरदस्त मूवी आई है थिएटर में, जिसका नाम है "रेट्रो"। अब देखो यार, वैसे तो इस फिल्म से हम लोगों को बहुत ज़्यादा उम्मीदें थीं, क्योंकि "कंगुआ" जैसी बकवास मूवी देखने के बाद फाइनली हमें लगा कि अब कोई ग़जब की मूवी आई है। लेकिन यहां पर कुछ और ही निकल गया। चलिए इसके बारे में डिटेल में बात करते हैं।

रेट्रो मूवी की कहानी -

इस फिल्म में सूर ने एक कैरेक्टर निभाया है जिसका नाम है पारी, जो एक बहुत ही खतरनाक गुंडा है। लेकिन मजे की बात ये है कि उसे ना कराटे आता है और ना ही कोई फाइटिंग स्किल है। बाप से बिल्कुल भी नहीं बनती और अपनी बीवी को मनाने के लिए एक आइलैंड पर ले जाता है। अब उस आइलैंड पर पहले से ही एक गैंग रहता है, जिसके साथ बाद में पारी की फाइट होती है। फिर धीरे-धीरे पता चलता है कि वही पारी उस जगह का मसीहा बन चुका है और लोग उसी का इंतज़ार कर रहे थे। मतलब भाई, ये कहानी शुरू कहां से होती है और खत्म कहां पर, इसका कुछ भी अंदाजा ही नहीं लगता।

रेट्रो मूवी की Screenplay और Direction -

बीच में डॉक्टर वाला एक कॉमेडी ट्रैक भी डाला गया है, लेकिन उसका भी कोई लॉजिक नहीं बनता। फिल्म का स्क्रीनप्ले टुकड़ों में बंटा हुआ लगता है। ना कोई इमोशनल कनेक्शन, ना कोई प्रॉपर स्टोरीलाइन और ना ही कोई फ्लो है फिल्म में पता नहीं यार, क्या बना दिया इन लोगों ने!

रेट्रो मूवी की Positive बात - 

अब देखो अगर पॉजिटिव बात करूं, तो एक चीज बहुत ही जबरदस्त है, और वो है भाई सूर की एक्टिंग। भाई ने जान डाल दी है यार! Surya की परफॉर्मेंस पूरी फिल्म में सबसे ज्यादा उभर कर आती है। इससे पहले भी हमने उनकी एक्टिंग देखी है और इस बार भी उन्होंने निराश नहीं किया। फर्स्ट हाफ ठीक, सेकंड हाफ पूरी तरह बिखरा हुआ। इस मूवी का फर्स्ट हाफ तो फिर भी ठीक-ठाक था, लेकिन सेकंड हाफ में पूरी फिल्म उलट-पुलट हो जाती है। कहानी पूरी तरह से भटक जाती है। क्लासिकल साउथ मसीहा वाला एंगल डाल दिया गया है, वो भी बिना किसी बेस के।

रेट्रो मूवी की Cinematography और Music -

सिनेमेटोग्राफी ठीक-ठाक है, बैकग्राउंड म्यूजिक भी ऑलमोस्ट ठीक ही है लेकिन डायरेक्शन में थोड़ी सी और मेहनत की जरूरत थी। अगर डायरेक्शन और प्रेजेंटेशन थोड़ा स्ट्रॉन्ग होता, तो फिल्म देखना और भी मजेदार हो जाता।

रेट्रो मूवी का Presentation और Logic की कमी -

स्टोरीलाइन को इस तरह से दिखाया गया है जैसे उसमें कोई लॉजिक ही नहीं है। कहानी कहां से शुरू होती है और कहां जाती है, इसका कोई अंदाजा नहीं लगता। रेट्रो में मुझे बस एक ही चीज पसंद आई और वो है सूर भाई की एक्टिंग।

ओवरऑल मेरा Experience -

अब देखो यार, "कंगुआ" जैसी मूवी के बाद हमने सोचा था कि अब कुछ तगड़ा देखने को मिलेगा, लेकिन वैसा कुछ भी नहीं हुआ। फिल्म देखकर मुझे एक एवरेज वाली फीलिंग आई।

क्या आपको Retro देखनी चाहिए?

अगर आप एक ऐसी मूवी देखना चाहते हो जो बिना लॉजिक वाली हो, बेसलेस हो, और आपको ज्यादा दिमाग ना लगाना पड़े, बस थोड़ा बहुत एंटरटेनमेंट मिल जाए — तो आप ये फिल्म देख सकते हो। बाकी आप में से बहुत सारे लोगों ने शायद ये मूवी देख ली होगी। तो कमेंट सेक्शन में जरूर बताइए कि आपको ये फिल्म कैसी लगी? मिलते हैं एक और शानदार Blog में, तब तक के लिए बाय!

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