CSK Vs LSG IPL 2025 Highlights:
चेन्नई सुपर किंग्स… यानी एक ऐसी टीम जो हर सीजन में कुछ ना कुछ खास जरूर करती है। IPL 2025 की शुरुआत भी चेन्नई ने जीत के साथ की थी और फैंस को उम्मीद थी कि इस बार भी धोनी की पलटन अपना जादू दिखाएगी। लेकिन इसके बाद जो हुआ, वो किसी ने नहीं सोचा था।
लगातार पांच मैचों में हार… टीम का कॉन्फिडेंस डगमगाने लगा, सोशल मीडिया पर आलोचनाओं की बौछार शुरू हो गई, और लगा जैसे ये सीजन भी चेन्नई के हाथ से फिसल रहा है। लेकिन… तभी आया वो दिन — 14 अप्रैल। और मैदान में उतरे वही पुराना योद्धा, वही पुराना लीडर — एमएस धोनी। 23 मार्च को चेन्नई ने अपना आखिरी मैच जीता था, और फिर 23 दिन का लंबा इंतज़ार। इस पूरे दौर में टीम ने काफी कुछ झेला, लेकिन हार के इस सिलसिले को तोड़ना बेहद जरूरी था। और जब टीम को सबसे ज्यादा ज़रूरत थी, तब सामने आए धोनी।
इस मैच में लखनऊ सुपर जायंट्स ने पहले बल्लेबाज़ी करते हुए 166 रन का टारगेट सेट किया था। पिच थोड़ी स्लो थी और बल्लेबाज़ी आसान नहीं लग रही थी। चेन्नई की शुरुआत भी कुछ खास नहीं रही। 15 ओवर तक स्कोर था 111 रन पर 5 विकेट… और फैंस के चेहरों पर मायूसी साफ झलक रही थी। लेकिन तभी क्रीज पर आए कैप्टन कूल। और उनके साथ थे इन-फॉर्म शिवम दुबे। दोनों ने मिलकर गेम को संभाला… और फिर शुरू हुआ धोनी का शो।
धोनी ने आते ही कुछ गेंदों को ध्यान से देखा, पिच का मिजाज़ समझा… और फिर अचानक गियर बदल दिया। शार्दुल ठाकुर की एक गेंद पर उन्होंने एक हाथ से ऐसा सिक्स जड़ा कि पूरा स्टेडियम झूम उठा। उस एक शॉट ने बता दिया कि धोनी आज किसी और मूड में हैं। धोनी ने सिर्फ 11 गेंदों में 26 रन बना डाले — जिसमें 4 चौके और वो एक हाथ से मारा गया छक्का भी शामिल था। उनका स्ट्राइक रेट रहा 236 के करीब — और यही तूफानी पारी मैच का टर्निंग पॉइंट बन गई।
दूसरी ओर शिवम दुबे ने भी बड़ी जिम्मेदारी के साथ खेला। उन्होंने 37 गेंदों में 3 चौकों और 2 छक्कों की मदद से नाबाद 43 रन बनाए। खास बात ये रही कि जब धोनी लिंब कर रहे थे, तब भी उन्होंने मैदान नहीं छोड़ा और डबल रन लेने से साफ मना कर दिया — ताकि खुद को चोट से बचा सकें और आखिरी तक टिके रहें। ये धोनी की सोच थी, उनका अनुभव था, जिसने मैच को पूरी तरह पलट दिया। सिर्फ बल्लेबाज़ी ही नहीं, बल्कि विकेटकीपिंग और कप्तानी में भी धोनी पूरे मैच में छाए रहे। उन्होंने एक शानदार कैच लपका, एक स्टंपिंग की और एक रनआउट भी किया। साथ ही फील्डिंग में भी लगातार बदलाव करते रहे — और इसका फायदा टीम को सीधे-सीधे मिला।
धोनी की कप्तानी में चेन्नई ने पहली बार इस सीजन पावरप्ले में सिर्फ 42 रन खर्च किए और 2 अहम विकेट भी निकाले। ये वही चेन्नई थी, जो पहले पावरप्ले में बुरी तरह रन लुटा रही थी। धोनी ने इस बार पुरानी गलतियों से सबक लिया और टीम को नए प्लान के साथ उतारा। जब लखनऊ ने 166 रन बनाए तो लक्ष्य आसान नहीं लग रहा था, लेकिन धोनी और दुबे की पार्टनरशिप ने सबकुछ आसान बना दिया। चेन्नई ने 19.3 ओवर में ही लक्ष्य हासिल कर लिया और 5 विकेट से शानदार जीत दर्ज की।
ये जीत सिर्फ दो अंक नहीं थे — ये भरोसा था, ये वापसी थी, ये धोनी का दम था। और सबसे बड़ी बात — इस जीत ने चेन्नई को फिर से प्लेऑफ की रेस में ज़िंदा कर दिया। एमएस धोनी को उनके ऑलराउंड परफॉर्मेंस के लिए प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया। और क्यों ना चुना जाए? जब टीम पर संकट आता है, तो सामने आता है धोनी — और फिर बाकी सब इतिहास बन जाता है।

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